📖 अनुशासन बनाना और टालमटोल से बचना
📖 अनुशासन बनाना और टालमटोल से बचना
परिचय
हर एक युवा विश्वासी चाहता है कि वह आत्मिक रूप से बढ़े और जीवन में सफल हो। लेकिन दो बड़ी समस्याएँ अक्सर हमें रोक देती हैं – अनुशासन की कमी और टालमटोल। बाइबल हमें इन दोनों से निपटने की समझ देती है।
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1. अनुशासन क्या है?
अनुशासन दंड नहीं है, बल्कि यह मन, शरीर और आत्मा को परमेश्वर की इच्छा में ढालने का प्रशिक्षण है।
नीतिवचन 12:1 – "जो शिक्षा से प्रेम रखता है, वह ज्ञान रखता है; पर जो डाँट से बैर करता है, वह मूर्ख है।"
2. टालमटोल क्या है?
टालमटोल का मतलब है आज के काम को कल पर डाल देना। यह समय और अवसर दोनों को नष्ट करता है।
नीतिवचन 6:10-11 – "थोड़ी नींद, थोड़ी झपकी, थोड़ा हाथ पर हाथ रखकर आराम करना, तब तेरा कंगालपन डाकू की नाईं और तेरा घटीआपन हथियारबंद पुरुष की नाईं आ पहुँचेगा।"
3. युवाओं में ये समस्याएँ क्यों आती हैं?
- मोबाइल और सोशल मीडिया का ध्यान भटकाना
- समय प्रबंधन की कमी
- असफलता का भय
- आराम और आलस्य
- परमेश्वर की इच्छा को प्राथमिकता न देना
4. बाइबल आधारित समाधान
1. दिन की शुरुआत परमेश्वर से करें
सुबह की प्रार्थना और बाइबल पढ़ना पूरे दिन के लिए अनुशासन तैयार करता है।
भजन संहिता 5:3 – "हे यहोवा, भोर को तू मेरी बात सुनेगा; भोर को मैं अपनी बिनती तेरे साम्हने रखूंगा और आशा रखूंगा।"
2. एक नियमित दिनचर्या बनाएँ
पढ़ाई, प्रार्थना, काम और आराम के लिए निश्चित समय रखें। अनुशासन मूड से नहीं, निरंतरता से बनता है।
3. आलस्य से बचें
टालमटोल को आत्मिक खतरे के रूप में पहचानें। देरी को विश्वास-आधारित कार्य से बदलें।
याकूब 4:17 – "इसलिये जो कोई भलाई करना जानता है और नहीं करता, तो उसके लिये यह पाप है।"
4. जवाबदेही रखें
अपने लक्ष्य किसी आत्मिक मार्गदर्शक या मित्र के साथ बाँटें जो आपको प्रोत्साहित करे और सही मार्गदर्शन दे।
5. अनन्त प्रतिफल पर ध्यान दें
याद रखें, मसीह में अनुशासन हमें केवल इस जीवन में सफलता ही नहीं देता बल्कि अनन्त प्रतिफल के लिए भी तैयार करता है।
1 कुरिन्थियों 9:27 – "पर मैं अपनी देह को कष्ट देता और उसे वश में लाता हूँ, कहीं ऐसा न हो कि औरों को प्रचार करके आप ही अयोग्य ठहरूँ।"
निष्कर्ष
अनुशासन बनाना और टालमटोल से बचना एक दैनिक निर्णय है। परमेश्वर के वचन और पवित्र आत्मा की सामर्थ्य से हम आलस्य पर जय पा सकते हैं और अपनी बुलाहट में फलवन्त बन सकते हैं।
कुलुस्सियों 3:23 – "जो कुछ भी करते हो, मन से करो, मानो प्रभु के लिये करते हो न कि मनुष्यों के लिये।"
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