🕊️ विश्वास के साथ बुलींग, अस्वीकार या आलोचना का सामना करना
🕊️ विश्वास के साथ बुलींग, अस्वीकार या आलोचना का सामना करना
जीवन में हर कोई कभी न कभी बुलींग, अस्वीकार (Rejection) या आलोचना (Criticism) का सामना करता है। विशेषकर युवा वर्ग इन चुनौतियों से सबसे अधिक प्रभावित होता है। लेकिन बाइबल हमें सिखाती है कि विश्वास के द्वारा हम इन परिस्थितियों को न केवल सह सकते हैं, बल्कि विजयी भी हो सकते हैं।
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🔶 1. बुलींग का सामना
लोग कभी-कभी मजाक उड़ाते हैं या अपमानजनक बातें कहते हैं। ऐसे समय में हमें याद रखना चाहिए कि परमेश्वर ने हमें अद्भुत और अनोखा बनाया है।
📖 भजन संहिता 139:14 — “मैं तेरा धन्यवाद करूंगा, क्योंकि मैं भय और आश्चर्य से अद्भुत रूप से रचा गया हूँ।”
🔶 2. अस्वीकार (Rejection) का दर्द
लोग हमें स्वीकार न करें, यह सामान्य है। लेकिन परमेश्वर हमें बिना शर्त प्रेम करता है और कभी अस्वीकार नहीं करता।
📖 यशायाह 41:10 — “मत डर, क्योंकि मैं तेरे संग हूँ; विस्मित न हो, क्योंकि मैं तेरा परमेश्वर हूँ।”
🔶 3. आलोचना (Criticism) को संभालना
हर आलोचना बुरी नहीं होती। हमें विवेक से सोचना चाहिए कि क्या इसमें सीखने की बात है। अगर आलोचना केवल गिराने के लिए है, तो हमें परमेश्वर पर ध्यान लगाना चाहिए।
🔶 4. समाधान – विश्वास के द्वारा
- प्रार्थना करें: हर स्थिति में परमेश्वर से शक्ति माँगें।
- सकारात्मक रहें: अपने आत्म-मूल्य को परमेश्वर के वचन से पहचानें।
- माफ करना सीखें: जो लोग आपको चोट पहुँचाते हैं, उन्हें मसीह की तरह क्षमा करें।
- साथी ढूँढें: अच्छे विश्वासियों के संगति में रहें।
🔶 निष्कर्ष
बुलींग, अस्वीकार और आलोचना जीवन का हिस्सा हैं, लेकिन जब हम मसीह में जड़े रहते हैं, तो कोई भी हमें तोड़ नहीं सकता। याद रखें — आपकी पहचान परमेश्वर में है, न कि लोगों की राय में।
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