कितना मधुरतम है यीशु तेरे
आंगन में वास करना
कितना मधुरतम है
सेनाओं का यहोवा यहोवा
तेरा निवास स्थान क्या ही प्रिय है
कितना मधुरतम है यीशु तेरे
आंगन में वास करना
कितना मधुरतम है
आंगन में तेरे वास करना
निरंतर ये चाहता रहूं
तन और मन से में यीशु को
निरंतर पुकारता रहूं
परमेश्वर का मैं मंदिर हूं
और इसी लिए आनंदित हूं
स्तुति रूपी बलिदान मसीह के द्वार
निरंतर चढ़ाता रहूं
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