Prabhu mahaan
प्रभु महान, विचारुं कार्य तेरे
कितने अद्भुत जो तूने बनाये
देखूं तारे सुनूं गर्जन भयंकर
सामर्थ तेरी सारे भू-मंडल पर
प्रशंसा होवे प्रभु यीशु की
कितना महान- कितना महान (2)
वन के बीच में तराई मध्य विचरूं
मधुर संगीत मैं चिड़ियों का सुनूँ
पहाड़ विशाल से जब मैं नीचे देखूं
झरने बहते लगती शीतल वायु
जब सोचता हूँ कि पिता अपना पुत्र
मरने भेजा है वर्णन से अपार
कि क्रूस पर उसने मेरे पाप सब लेकर
रक्त बहाया कि मेरा हो उद्धार
मसीह आवेगा शब्द तुरही का होगा
मुझे लेगा जहाँ आनन्द महान
मैं झुकूंगा साथ आदर भक्ति दीनता
और गाऊँगा प्रभु कितना महान
Post a Comment