💍 डेटिंग, विवाह और परमेश्वर की इच्छा – युवाओं के लिए मार्गदर्शन
💍 डेटिंग, विवाह और परमेश्वर की इच्छा – युवाओं के लिए मार्गदर्शन
आज की दुनिया में डेटिंग और रिश्तों को सामान्य और आवश्यक मान लिया गया है। लेकिन मसीही युवाओं के लिए यह ज़रूरी है कि वे समझें कि परमेश्वर क्या चाहता है। क्या डेटिंग वास्तव में आत्मिक जीवन के लिए सही है? और विवाह के लिए सही साथी कैसे चुना जाए?
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1️⃣ डेटिंग क्यों खतरनाक हो सकती है?
- अक्सर यह केवल भावनाओं और आकर्षण पर आधारित होती है।
- समय से पहले रिश्ते में आने से दिल टूटने और अपराधबोध का खतरा रहता है।
- अनुचित शारीरिक और मानसिक प्रलोभनों की संभावना बढ़ जाती है।
“मन की बातों में पवित्र बनो।” – मत्ती 5:8
2️⃣ परमेश्वर की योजना विवाह के लिए
बाइबल सिखाती है कि विवाह एक पवित्र वाचा है। यह परमेश्वर की ओर से दिया गया आशीर्वाद है – एक पुरुष और एक स्त्री के बीच, उसकी इच्छा के अनुसार।
“इस कारण पुरुष अपने माता-पिता को छोड़कर अपनी पत्नी के साथ रहेगा और वे दोनों एक तन होंगे।” – उत्पत्ति 2:24
3️⃣ सही समय का इंतज़ार करें
युवाओं को जल्दबाज़ी में किसी भी रिश्ते में नहीं पड़ना चाहिए। सही समय का इंतज़ार करें और परमेश्वर से प्रार्थना करें कि वह आपको उसकी इच्छा के अनुसार जीवनसाथी दे।
“हर बात का एक समय है और हर काम का एक अवसर है।” – सभोपदेशक 3:1
4️⃣ सही साथी कैसे चुनें?
- क्या वह व्यक्ति प्रभु से प्रेम करता है और उसके वचन का पालन करता है?
- क्या वह आत्मिक रूप से परिपक्व है और पवित्रता में चलता है?
- क्या उसके जीवन से यीशु झलकता है?
- क्या आपके विश्वास और बुलाहट में एकता है?
“अविश्वासियों के साथ असमान जुए में न जुतो।” – 2 कुरिन्थियों 6:14
5️⃣ युवाओं के लिए सलाह
- समय से पहले रिश्तों से बचें – यह अक्सर दिल और आत्मा को चोट पहुँचाता है।
- अपने जीवनसाथी के लिए प्रार्थना करें और परमेश्वर की इच्छा खोजें।
- अपने परिवार, पास्टर या आत्मिक मार्गदर्शक से सलाह लें।
- विवाह को केवल प्यार या आकर्षण नहीं, बल्कि एक आत्मिक वाचा समझें।
🔚 निष्कर्ष
प्रिय युवा मित्रों, डेटिंग की बजाय परमेश्वर की इच्छा का इंतज़ार करें। विवाह एक पवित्र बुलाहट है जिसे हल्के में नहीं लेना चाहिए। सही समय पर, सही व्यक्ति को परमेश्वर आपके जीवन में लाएगा। तब तक अपने जीवन को शुद्ध रखें और प्रभु की सेवा में लगे रहें।
“अपने पूरे मन से यहोवा पर भरोसा रख, और अपनी समझ का सहारा न ले।” – नीतिवचन 3:5-6
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