मन मन्दिर में बसने वाला
यीशु तू है निराला
जिसके मन के तू जनम ले
अविनाशी आनन्द से भर दे (2)
आदि अनन्त की प्रीत रीत की
जल जाएगी ज्वाला (2)
मूसा को तूने पास बुलाया
स्वर्गलोक का भवन दिखाया (2)
महा पवित्र स्थान में रहकर
आप ही उसे संभाला (2)
पाप में दुनिया डूब रही थी
परम पिता से दूर हुई थी (2)
महिमा अपनी आप ही तज कर
रूप मनुष्य के आया (2)
प्रेम हमें अनमोल दिखाया
प्रेम के खातिर रक्त बहाया (2)
क्रूस पर अपनी जान को देकर
मौत से हमें छुड़ाया (2)
हर विश्वासी परम से आए
खुशी से अपनी भेंट चढ़ाएं (2)
अंधकार सब दूर हुए हैं
मन में हुआ उजाला (2)
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